गौ सेवा का महत्व बताते हुए पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण को मानने वालों को वही करना चाहिए जो उन्हें प्रिय है। कन्हैया को गौ माता अत्यंत प्रिय है, इसलिए प्रत्येक सनातनी को गौ सेवा करनी चाहिए।गौशाला की सेवा के महात्मय से शास्त्र भरे पड़े हैं। ऐसे में हमें गौ सेवा को महत्व देना चाहिए। तीर्थ स्थानों में जाकर स्नान दान से जो पुण्य प्राप्त होता है, ब्राह्मणों को भोजन कराने से जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, संपूर्ण व्रत-उपवास, तपस्या, महादान तथा हरि की आराधना करने पर जो पुण्य प्राप्त होता है, संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा, संपूर्ण वेदों के पढ़ने तथा समस्त यज्ञों के करने से मनुष्य जिस पुण्य को पाता है, वही पुण्य बुद्धिमान पुरुष गौ माता को घास खिलाकर प्राप्त कर लेता है। जो पुरुष गौ की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है, उस पर संतुष्ट होकर गौ माता उसे अत्यंत दुर्लभ वर प्रदान करती है। गाय के दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र का एक निश्चित अनुपात में मिश्रण पंचगव्य कहलाता है। पंचगव्य का सेवन करने से मनुष्य के समस्त पाप उसी प्रकार भस्म हो जाते हैं।